खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी…..
रानी लक्ष्मीबाई की पुण्य तिथि पर धारूहेडा में किया नमन
धारूहेडा: सुनील चौहान। यहां के सेक्टर छह स्थित हिंदू युवा वाहिनी कार्यालय में रानी लक्ष्मीबाई की पुण्य तिथि पर नमन किया गया। इस मौके पर धारूहेडा हिदू युवा वाहिनी के प्रधान लाला राम व किसान मोर्चो के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामपाल यादव ने रानी की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी नायिका रहीं जिनके पराक्रम और साहस का जिक्र आज भी समय समय पर किया जाता है। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत के आगे कभी झुकना स्वीकार नहीं किया और आखिरी दम तक झांसी की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ती रहीं। 18 जून के दिन ही उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था। रानी लक्ष्मीबाई का पराक्रम और साहस आज की नारियों के लिए प्रेरणादायी है। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।वह 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध बिगुल बजाने वाले वीरों में से एक थीं। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था और प्यार से उन्हें मनु कहकर बुलाया जाता था। बचपन से ही मनु शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा लेने लगी थी। इस मोके पर समाज सेवी बाबूलाल लांबा, सुनील जोधवाल, रमेश, दीपक, मुकेश, प्रीतम, दीपांशु, अशोक, गोलू, राजीव, बंटी, हंसराज, विपिन, शंकर व दीपू आदि मौजूद रहे।